Saturday, March 6, 2010

आख़िरी वक्त की खाक़’ मुसलमां !!

जनाब मक़बूल फ़िदा हुसैन साहब !
आदाब ।
आपको कतर की नागरिकता मुबारक। भारत में आप मक़बूल नहीं हो सके जिसकी माधुरी पर आप फ़िदा थे। लक्ष्मी और सरस्वती के कारण आपकी नौबत हसन हुसैन की हो गई थी। हालांकि हसन हुसैन की सफ़ाकत और आपकी शरारत में काफी अंतर है। वे शहादत के लिए जाने जाते हैं ओर और आप माशाअल्लाह विवाद पैदा करके अपनी पैन्टिंग का करोड़ों में व्यवसाय कर लेते हैं।
अब आप कतर पर फिदा हुए हैं। उम्मीद है वहा के लोगों ने आप को कुबूल कर लिया होगा। आपने अपनी आकबत के लिए सही जगह का चुनाव किया है। कतर आपकी उड़ान यानी परवाज को तरीक़े से कतरने की कूव्वत रखता है। बहुत हैरानी नहीं होगी अगर आपकी कूंचियां बुढ़ौती में भी ऐसी ही फिसलीं और जुलैखां और मुहम्मद की चित्रकारी में उलझ गई तो दुनिया की कोई नागरिकता आप को नहीं बचा पाएगी।
अगर आपने भारत से सीखा है कुछ और 94 साल की उम्र में कुछ जियारत वगैरह की फिक्र कर ली है तो हम दुआ करते हैं कि आपको भी नसरीन और सलमान के लिए जारी फतवों से न नवाजा जाए।
यह आप यहीं कर लेते । भारत बहुत उदार और सहनशील देश है। यहां सब कुछ पचाने की ताकत है। आपइ कहते हो कि 90 प्रतिशत जनता आपको प्यार करती है। फिर भी आप चले गए!
वैसे आपने परम्परा ही निभाई है। इस देश की 50-55 प्रतिशत जनता जिन्हें प्यार करती है वे भी आखिर विदेश ही जाते है।
विदेश जाना हो तो भारत की जनता का प्यार पा लो। विदेश यात्रा और स्विस बैंक में खाता खुलवाने का रास्ता अपने आप खुल जाता है। भारत में विवादस्प्रद पैन्टिंग बनाकर करोड़ों आपने भी कमाएं हैं दादा ! कहां और किस बैंक में है आपका खाता ?
लगता है कतर की सत्ता ने उसी खाते को अपनी मुद्राओं में बदलने के लिए आपको नागरिक बनाया है। या फिर आपने ही करोड़ों में अपनी नागरिकता का सौदा करके अपना बैंक बैलेन्स बढ़ाया है? क्योंकि चित्रकार आप चाहे जैसे हों , कमाल के कुशल व्यापारी तो आप हैं ही। बधाई।
आपको पता है ? आपके जाने से बेचारे बुढ़याते बाल यानी बालक साहब बहुत दुखी हैं। उनकी रोजी रोटी आप जैसे लोग ही चलाते हैं। आप जैसों को पत्थर मारकर वे अस्तित्व में आते हैं। आपका और उनका साथ चोली और दामन का था। वे चोली पहनकर नंगियाते हैं और आप दामन दिखाकर फनकार कहाते हैं। आपके दामन पर उनकी चोली फिट बैठती है। वे देवी देवताओं की पूजा करके घृणा फैलाते हैं। आप उन्हीं देवियों की घृणात्मक तस्वीरें बनाकर उनको मंच और कार्यक्रम प्रदान करते हैं।
इन दिनों वे शाहरुख के प्रेम में पागल हैं। यह बात आपके लिए खलनेवाली है। वे अमित के साथ पूरे उत्तप्रदेश और बिहार को पीटते रहे ,आपको कुछ न हुआ। आपका इन दोनों से कोई काम्पीटीशन नहीं था। मगर शाहरुख के साथ बालक साहब का यह इश्क़ ? आप समझ गए कि आपसे भी तगड़ा व्यक्ति अब ‘सरकार’ का दिल बहला रहा है। आपने कतर पर अपने को फिदा कर दिया। फिदा होना फना होने की तरफ बढ़ता क़दम है। आप कामयाब हों।
कामयाबी का सेहरा आप अपने पुराने दोस्त को भी क्यों नही पहनाते। उन्हें भी वहीं बुला लीजिए। हालांकि वे भारत में ही एक प्रदेश के नवनिर्माण में लगे हैं। देश के लोगों को चाहिए कि वोटिंग करा ले कि कौन उनके प्रदेश में बसना चाहता है। प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से वोट मिले तो सबको उतनी जगह में बसा दिया जाए और भारत से अलग कर दिया जाए। अलगाववादी तो हैं ही वे। वे भी खुश और भारत को भी चैन। अमेरिका उनको अस्त्र शस्त्र भी देगा और आतंकवाद का प्रशिक्षण भी। उनके शत्रु देश को अमेरिका दे ही रहा है। अगर दोस्त का दोस्त दोस्त तो शत्रु का शत्रु भी दोस्त होता है। बालक साहब शेष भारत के शत्रु हैं ,पाक भारत का शत्रु है। दोस्ती हो जाएगी। और इनको इस तरह अपना यह रूठा हुआ बूठा दोस्त मिल जाएगा।
ग़ालिब कहते थे कि आख़री वक़्त में क्या खाक मुसलमां होंगे। होंगे चचाजान! होंगे क्यों नहीं! क्या आप नहीं जानते कि बुजुर्गों ने कहा है - बंदर लाख बूढ़ा हो जाए , गुलाटी मारना नहीं छोड़ता।
हम देख ही रहे है कि कैसे कैसे बूढ़े बंदर कैसी कैसी गुलाटियां मार रहे हैं। बंदरों को इंसानों का पूर्वज बिना किसी तथ्य के थोड़े ही कह दिया गया है। वे लोग बड़े बुद्धिमान है जो ‘विद्यावान गुणी अति चातुर’ के भक्त हैं। इस तरह उनकी तोड़फोड़ और आगजनी सही है। मगर भाई अपने ही देश प्रदेश और अपने ही भवन में तोड़फोड़ और आगजनी क्या तफमहारे आराध्य का अपमान नहीं है। नहीं हम तुम्हारी श्रद्धा और भक्ति के बीच में नहीं आ रहे हैं। बस पूछ रहे हैं।
कहने को और भी बहुत कुछ है ,मगर जगह कम है और आप दोनों लोग समझदार ज्यादा हो।
थोड़ा लिखा अधिक समझना। जिस वतन में रह रहे हो उसे अपना समझना। खुदा हाफ़िज़। चूंकि उम्र उस जगह है ,जहां रात है ; इसलिए शब्बाख़ैर।


05.02.10 ,
बरोज़ जुम्मा।

3 comments:

  1. थोड़ा लिखा अधिक समझना। जिस वतन में रह रहे हो उसे अपना समझना। खुदा हाफ़िज़। चूंकि उम्र उस जगह है ,जहां रात है ; इसलिए शब्बाख़ैर।

    पत्र शैली में अनूठा व्यंग्य
    बधाई!

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  2. आपको पता है ? आपके जाने से बेचारे बुढ़याते बाल यानी बालक साहब बहुत दुखी हैं। उनकी रोजी रोटी आप जैसे लोग ही चलाते हैं। आप जैसों को पत्थर मारकर वे अस्तित्व में आते हैं। आपका और उनका साथ चोली और दामन का था। वे चोली पहनकर नंगियाते हैं और आप दामन दिखाकर फनकार कहाते हैं। आपके दामन पर उनकी चोली फिट बैठती है। वे देवी देवताओं की पूजा करके घृणा फैलाते हैं। आप उन्हीं देवियों की घृणात्मक तस्वीरें बनाकर उनको मंच और कार्यक्रम प्रदान करते हैं।

    अंधउदारवाद और विज्ञानवाद भी कभी कभी हथियारों को उन्नति का प्रतीक बताता है और अतर्राश्ट्रीय मुद्रा के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कलावाद के बीच की बारीक दीवार को नहीं पहचान पाता
    अच्छा व्यंग्य

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  3. कामयाबी का सेहरा आप अपने पुराने दोस्त को भी क्यों नही पहनाते। छनहें भी वहीं बुूला लीजिए। हालांकि वे भारत में ही एक प्रदेश के नवनिर्माण में लगे हैं। देश के लोगों को चाहिए कि वोटिंग करा ले कि कौन उनके प्रदेश में बसना चाहता है। प्रदेश की जनसंख्या के हिसाब से वोट मिले तो सबको उतनी जगह में बसा दिया जाए और भारत से अलग कर दिया जाए। अलगाववादी तो हैं ही वे। वे भी खुश और भारत को भी चैन। अमेरिका उनको अस्त्र शस्त्र भी देगा और आतंकवाद का प्रशिक्षण भी।

    आपका अध्ययन बहुत बारीक है सर

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